Thursday, September 17, 2015

पढाई-लिखाई - नानक का जनेउ

इस दुनिया में हम जो पढ़ रहे है, वह एक-दूसरे पर सवारी करते के उपाय है ! यहां पढना तुम्हारे संघर्ष का आयोजन है ! तुम ठीक से लड़ सकोगे अगर तुम्हारे पास डिग्रियां है ! तुम दूसरो के कंधो पर सवार हो सकोगे अगर तुम्हारे पास डिग्रियां है ! ये विधालय तुम्हारे हिंसा के फैलाव है ! इनके कारण तुम ज्यादा कुशलता से शोषण कर सकोगे ! दूसरो को व्यवस्था से सता सकोगे ! कानून से जुर्म कर सकोगे ! नियम से, विधि से वह सब कर सकोगे जो कि नही करना चाहिए ! सारी पढाई-लिखाई बेईमानी का प्रशिक्षण है ! तुम लोगो पर सवार हो सकोगे ! इससे कभी कोई ज्ञानी तो नही हुआ ! इससे ही तो लोग अज्ञानी होते चले जाते है ! हमारे विधालय अविधालय है ! वहां ज्ञान तो कभी घटता नही !
नानक को उनके स्कूल का अध्यापक पंडित छोड़ गया घर, यह अपने बस के बाहर है !

नानक का जनेउ हो रहा था , तो सारा समारंभ हो गया था ! सब लोग आ गए थे ! बैंड-बाजे बज चुके थे, पंडित सूत्र पढ़ चुका था ! फिर वह गले में जनेउ डालने लगा तो जनेउ डालने लगा तो नानक ने कहा, रुको ! इस जनेउ के डालने से क्या होगा ? उस पंडित ने कहा कि इस जनेउ के डालने से तुम द्विज हो जाओगे ! नानक ने पूछा कि द्विज का क्या अर्थ है ? द्विज का अर्थ है कि दुबारा जन्म ! क्या इस सूत के धागे को डाल लेने से मेरा दुबारा जन्म हो जाएगा ? क्या मैं नया हो जाऊंगा ? क्या पुराना मर जाएगा और नए का जन्म हो जाएगा ? अगर यह होता हो तो मैं तैयार हूं ! 

पंडित भी डरा ! क्योंकि माला गले में डाल लेने से जनेउ की क्या होने को है ? फिर नानक ने पूछा कि यह जनेउ अगर टूट गया तो ? उसने कहा कि बाज़ार में और मिलते है ! इसको फेंक देना , दूसरा ले लेना ! तो नानक ने कहा कि फिर यह रहने ही दो जो खुद टूट जाता है , जो बाज़ार में बिकता है, जो दो पैसे में मिल जाता है, उससे उस परमात्मा की क्या खोज होगी ? जिसको आदमी बनाता है , उससे परमात्मा की क्या खोज होगी ! आदमी का कृत्य छोटा है !

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