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Wednesday, October 28, 2015

भक्ति

भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,
भोजन " प्रसाद "बन जाता है.।

भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख " व्रत " बन  जाती है.।

भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी " चरणामृत " बन जाता है.।

भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर " तीर्थयात्रा " बन जाता है.।

भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,
संगीत " कीर्तन " बन जाता है.।

भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर " मन्दिर " बन जाता है.।

भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य " कर्म " बन जाता है.।

भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया "सेवा " बन जाती है.।
और...
भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति " मानव " बन जाता है..।