Monday, July 6, 2015

धर्म की जगह धार्मिकता

Master says...
धर्म सिद्धांत नहीं है।
धर्म फिर क्या है? धर्म
ध्यान है, बोध है,
बुद्धत्व है। इसलिए मैं
धार्मिकता की बात
नहीं करता हूँ। चूंकि
धर्म को सिद्धांत
समझा गया है। इसलिए
ईसाई पैदा हो गए,
हिंदू पैदा हो गए,
मुसलमान पैदा हो गए।
अगर धर्म की जगह
धार्मिकता की बात
फैले, तो फिर ये भेद
अपने आप गिर जाएंगे।
धार्मिकता कहीं हिंदू
होती है, कि कहीं
मुसलमान या कहीं
ईसाई होती है। बल्कि
धार्मिकता तो बस
धार्मिकता होती है।
स्वास्थ्य हिंदू होता
है, कि स्वास्थ्य
मुसलमान, कि स्वास्थ्य
ईसाई। प्रेम जैन होता
है, प्रेम बौद्ध होता
है, कि प्रेम सिक्ख
होता है। जीवन,
अस्तित्व इन संकीर्ण
धारणाओं से नहीं
बंधता। जीवन अस्तित्व
इन संकीर्ण धारणाओं
का अतिक्रमण करता
है। उनके पार जाता है।

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