Tuesday, August 23, 2016

निर्वासना कैसे पाई जाएगी?

          इस संसार में सभी कुछ पाया जा सकता है। लेकिन यह निर्वासना कैसे पाई जाएगी? यह तो बिलकुल नहीं पाई जा सकती। पाने की भाषा ही वहां गलत है। वहां तो समझ ही काम आती है, पाना काम नहीं आता। तुम वासनाओं को समझ लो कि उनमें कष्ट है। मेरे कहने से नहीं। मेरे कहने से समझे तो समझे नहीं। अपनी वासनाओं को ही अनुभव करो। तुम धन के पीछे दौड़-दौड़ कर कितना कष्ट पा रहे हो। फिर धन तुम्हें मिल भी गया, क्या मिला? देखो, निरीक्षण करो! जाग कर अपने जीवन की प्रक्रिया को समझो। अपने मन के ढांचे को पहचानो। जैसे-जैसे तुम्हें कष्ट साफ होने लगेगा,वैसे-वैसे ही तुम पाओगे कि तुम्हारी मुट्ठी संसार पर खुलने लगी। त्याग नहीं करना पड़ेगा--त्याग हो जाएगा। और यह बड़ी अलग बात है। इसलिए मैं कहता हूं: त्याग तो करना ही मत, क्योंकि त्याग करने का मतलब है कच्चा। त्याग हो जाए।


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