बचपन से ही हमें सहना सिखाया जाता है। सहने को एक अच्छा गुण कहा जाता है। बरसों से यही दोहराया जाता रहा है कि यदि हर कोई सहनशील हो जाए तो न केवल व्यक्तिगत तौर पर बल्कि वैश्विक तौर पर धरती पर शांति हो सकती है, लेकिन आज परिणाम सामने है। ओशो बोध के पक्ष में हैं।
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