Master says....
मां-बाप अक्सर बच्चों को लेकर चिंतित रहते हैं कि आज के भ्रष्ट वातावरण में बच्चों की परवरिश कैसे की जाए? कैसे उन्हें समाज में व्याप्त बुराइयों से बचाकर भलाई की ओर ले जाया जाए? बच्चे बहुत बड़ी जिम्मेदारी हैं, जो जीवन ने माता-पिता पर सौंपी है। इससे पहले कि आप सोचें कि बच्चों को कैसा बनाया जाए, हमेशा यह सोचना चाहिए कि खुद को कैसा बनाया जाए? स्मरण रखें कि बदलाव की शुरुआत हमेशा खुद से होती है। अगर माता-पिता के खुद के व्यक्तित्व का ठीक-ठीक निर्माण हुआ हो, तो जीवन के जिन सूत्रों से उन्होंने खुद को निर्मित किया है, उन्हीं सूत्रों के आधार पर दूसरों का निर्माण किया जा सकता है। ओशो से यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता कि हम बच्चों को बुराई से कैसे बचाएं? ओशो ने इसके लिए कुछ सूत्र दिए हैं, जिन पर हर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए :
कोई मां अपने बच्चों को अंतर्मुखी बनाना चाहे, चरित्रवान बनाना चाहे, तो इस भूल में कभी न पड़े कि वह सीधे-सीधे बच्चे को इस दिशा में ले जा सकती है। क्योंकि जब भी हम किसी व्यक्ति को किसी दिशा में ले जाने लगते हैं, तो उसका अहंकार हमारे विरोध में खड़ा हो जाता है। मन का एक वैज्ञानिक नियम है कि जिस बात के लिए इनकार किया जाता है, वही आकर्षक मालूम होती है। इसलिए परोक्ष रूप से, सहजता से अपने अनुभव को बांटें, उपदेश या आदेश देकर यह काम नहीं हो सकता।
छोटे बच्चे का बहुत आदर करें, क्योंकि जिसका हम आदर करते हैं, उसको ही अपने हृदय के निकट ला पाते हैं। बच्चे को तभी सिखाया जा सकता है, जब आप उससे प्रेम करें। अगर हम चाहते हैं कि छोटे बच्चे मां-बाप का आदर करें, तो पहले उन्हें आदर देना पड़ेगा। आप बच्चों में जिन गुणों की अपेक्षा करते हैं, क्या वे गुण आप में हैं? पहले खुद चरित्रवान बनिए, बच्चे अपने आप आपका अनुकरण करेंगे।
Everything starts with love, remember; love is the ultimate law. Then prayer, mercy, grace, follow of their own accord.
Saturday, May 16, 2015
बच्चों की परवरिश
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OSHO HINDI
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