Master says ...भोजन के साथ बेहोशी क्यों आ जाती है?
क्योंकि जैसे ही पेट में भोजन जाता है, मस्तिष्क में जो ऊर्जा साधारणतः काम करती है--जो शक्ति, वह पेट खींच लेता है।
क्योंकि पेट को पचाने की जरूरत पड़ती है, तो सारे शरीर से शक्ति को पेट खींच लेता है
क्योंकि भोजन को पचाना है, पेट की अग्नि को ठीक से जलना है।
और मस्तिष्क बड़ी सूक्ष्म शक्ति से चलता है। होश सूक्ष्मतम शक्ति है।
जैसे ही पेट में भोजन गया कि मस्तिष्क की शक्ति पेट की तरफ उतर जाती है। बस, सिर झपकी खाने लगता है, नींद आने लगती है।
वह जो नींद आ रही है, वह इस बात का सबूत है कि जो शक्ति मस्तिष्क को चलने के लिए चाहिए, वह नहीं मिल रही।
और पेट शरीर का केंद्र है।
मस्तिष्क से शक्ति ली जा सकती है। मस्तिष्क को शक्ति तो पेट तभी देता है, जब उसके पास अतिरिक्त होती है। मस्तिष्क गौण है पेट के लिये।
इसलिये ज्यादा भोजन करने वाले लोग बहुत प्रखर बुद्धि के नहीं होते।
और एक बड़ी हैरानी की बात है कि ज्यादा भोजन करने वाले लोग न तो प्रखर बुद्धि के होते हैं और न ज्यादा जीते हैं; जल्दी मर जाते हैं।
Everything starts with love, remember; love is the ultimate law. Then prayer, mercy, grace, follow of their own accord.
Saturday, May 16, 2015
भोजन के साथ बेहोशी क्यों आ जाती है?
Labels:
OSHO HINDI
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment